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जी हां, आपने सही पढ़ा, यह एकदम नवीनतम तकनीकी है। जिसको ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग पोर्टल क्लियरटैक्स ने बेहद आसान बना दिया है। आइए जानते हैं कि कैसे व्हाट्सएप के जरिए ITR फाइल कर सकते हैं? क्या है तरीका और फायदे? लेकिन उससे पहले हम जानेंगे कि इनकम टैक्स रिटर्न क्या है?
इनकम टैक्स रिटर्न का क्या मतलब होता है?
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) एक फॉर्म होता है, जिसे किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा आयकर विभाग में दाखिल किया जाता है। इस फॉर्म में पिछले वित्तीय वर्ष में प्राप्त आय और उस पर चुकाए गए कर का विवरण होता है। इसकी मदद से आपको कर चोरी से बचाव, लोन प्राप्त करना आसान, वीजा आवेदन में सहूलियत जैसे आराम मिलते हैं।
कैसे व्हाट्सएप के जरिए ITR फाइल कर सकते हैं?
- सबसे पहले, अपने मोबाइल फोन में क्लियरटैक्स (ClearTax) का व्हाट्सएप नंबर सेव करें।
- मैसेज भेजें "Hi"।
- अपनी भाषा का चुनाव करें। क्लियरटैक्स में अंग्रेजी, हिंदी समेत 10 भाषाओं का विकल्प देगा।
- वेरिफिकेशन: आपसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, और बैंक डिटेल्स जैसी जरूरी जानकारी पूछी जाएगी।
- उपयुक्त फॉर्म का चयन करें: ITR-1 या ITR-4 फॉर्म का चयन करें।
- AI Bot की मदद से फॉर्म फिल करें। फिर फॉर्म डिटेल्स को रिव्यू करें। गलत जानकारियों को सही करें।
- पेमेंट का प्रोसेस पूरा करने के बाद आपके पास व्हाट्सएप पर ही पुष्टि का मैसेज आ जाएगा।
समझें ITR-1 व ITR-4 की योग्यता?
- ITR-1: यह फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी आय केवल सैलरी, एक घर से किराया, या अन्य स्रोतों (जैसे ब्याज) से है।
- ITR-4: यह फॉर्म उन व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF), और फर्मों (को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अलावा) के लिए है। इसमें प्रिज़म्प्टिव टैक्सेशन स्कीम और व्यवसाय की आय को शामिल किया जाता है।
(यहां पढ़ें ITR नियम व योग्यता)
व्हाट्सएप से ITR रिटर्न फाइल करने के फायदे?
- सुविधा: घर बैठे आसानी से व्हाट्सएप के माध्यम से रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अब आपको किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट के पास जाने की जरूरत नहीं है।
- समय की बचत: व्हाट्सएप के जरिए ITR फाइल करने में काफी कम समय लगता है, जिससे आपके समय की बचत होती है।
- प्रोफेशनल सहायता: क्लियरटैक्स (ClearTax) जैसी कंपनियों की प्रोफेशनल टीम आपकी सहायता करती है और सुनिश्चित करती है कि आपकी सभी जानकारी सही तरीके से फाइल हो।
- सुरक्षित: आपकी जानकारी सुरक्षित रहती है और गोपनीयता बनाए रखी जाती है। व्हाट्सएप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ आता है, जो आपकी जानकारी को सुरक्षित बनाता है।
ITR से क्या-क्या फायदे होते हैं?
- कर चोरी से बचाव: ITR फाइल करने से आप कर चोरी के आरोपों से बच सकते हैं और कानून का पालन करने वाले नागरिक बन सकते हैं।
- लोन प्राप्त करना: बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देने से पहले ITR की जांच करते हैं। इससे आपका लोन प्राप्त करना आसान हो जाता है।
- वीजा आवेदन में सहूलियत: विदेश यात्रा के लिए वीजा आवेदन करते समय ITR की कॉपी जमा करनी होती है, जिससे आपका वीजा आवेदन जल्दी स्वीकृत हो सकता है।
- रिफंड प्राप्त करना: अगर आपने अधिक टैक्स चुकाया है, तो ITR फाइल करने पर आप रिफंड का दावा कर सकते हैं।
- आर्थिक स्थिरता: ITR फाइल करने से आपकी आर्थिक स्थिति का प्रमाण मिलता है, जो किसी भी वित्तीय लेन-देन में मददगार साबित होता है।
सरकार को क्या फायदा होता है?
- राजस्व प्राप्ति: सरकार को टैक्स के रूप में राजस्व मिलता है, जिसे वह देश के विकास और कल्याणकारी योजनाओं में निवेश कर सकती है।
- आर्थिक नीति निर्धारण: ITR के डेटा से सरकार को यह जानकारी मिलती है कि देश की आय और खर्च का क्या स्थिति है, जिससे आर्थिक नीतियां बनाना आसान हो जाता है।
- कर चोरी पर नियंत्रण: ITR फाइलिंग से कर चोरी पर नियंत्रण रखा जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी योग्य नागरिक टैक्स भर रहे हैं।
यहां सरल भाषा में समझें इनकम टैक्स स्लैब?
न्यू टैक्स रिजीम स्लैब (New Tax Regime):
- 7 लाख तक की आमदनी वाले व्यक्ति पर कोई इनकम टैक्स की देनदारी नहीं बनती है। लेकिन, 7 लाख से ऊपर पर टैक्स की देनदारी होगी। उदाहरण में समझें- मान लें कि आपकी सालाना आमदनी 5,00,000 है। ऐसे में आपकी टैक्स देनदारी शून्य होगी।
- वहीं, आपकी सालाना आय 8,00,000 है, तो इसमें 1 लाख (₹8,00,000-₹7,00,000) पर टैक्स देनदारी 20 फीसदी होगी।इस हिसाब से 1 लाख का 20% = 20 हजार। साथ ही इसमें केकेसी (कृषि कल्याण टैक्स) का 600 रुपए अनिवार्य जोड़कर यानी कि कुल 1 लाख का 20600 रुपए टैक्स की देनदारी होगी। न्यू रिजीम टैक्स स्लैब में किसी भी प्रकार कि डिडक्शन जैसे- स्टैंडर्ड डिडक्शन( 50 हजार), होम लोन(दो लाख), नेशनल पेंशन सिस्टम (50 हजार), 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (75 हजार) की सुविधा नहीं मिलती है।
पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) :
- इसमें, 2.5 लाख की आमदनी वाले पुरुष, 3 लाख की आमदनी वाली महिलाएं, डेढ़ लाख की आमदनी वाले विकलांगों पर कोई इनकम टैक्स की देनदारी नहीं बनती है। लेकिन, इससे ऊपर पर टैक्स की देनदारी होगी। उदाहरण में समझें- मान लें कि किसी पुरुष की सालाना आमदनी 2.5 लाख रुपए है। ऐसे में आपकी टैक्स देनदारी शून्य होगी।
- वहीं, आपकी सालाना आय 5 लाख है, तो इसमें 2.5 लाख पर 5 फीसदी देनदारी देखी जाएगी। लेकिन, पुरानी टैक्स रिजीम में काफी हद तक डिडक्शन की सुविधा उपबल्ध है। इसके तहत टैक्सपेयर्स को 80C के तहत 1.50 लाख रुपये का टैक्स छूट का लाभ मिल जाती है। इसके अलावा जैसे- स्टैंडर्ड डिडक्शन (50 हजार), होम लोन(दो लाख), नेशनल पेंशन सिस्टम (50 हजार), मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (75 हजार) की सुविधाओं का लाभ मिलता है। इन छूट का उपयोग करके 2.5 लाख पर 5 फीसदी देनदारी को और भी कम या शून्य तक किया जा सकता है।
टैक्स रिटर्न फाइल करने पर रिफंड कैसे मिलता है?
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने पर अगर आपने अपनी वास्तविक आय से अधिक टैक्स का भुगतान किया है, तो आप रिफंड के पात्र हो सकते हैं। रिफंड का मतलब है कि आयकर विभाग आपको अधिक चुकाए गए टैक्स की राशि वापस करता है।
रिफंड किस बात का मिलता है?
- अधिक टैक्स कटौती: अगर आपके नियोक्ता ने आपके वेतन से अधिक टैक्स काट लिया है।
- एडवांस टैक्स या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स: यदि आपने अनुमान से अधिक एडवांस टैक्स या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स का भुगतान किया है।
- टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स): अगर आपकी विभिन्न आय स्रोतों (जैसे बैंक ब्याज, किराए आदि) पर काटे गए टीडीएस की राशि आपके वास्तविक टैक्स देनदारी से अधिक है।
- सेक्शन 87A के तहत छूट: अगर आप टैक्स रिबेट के लिए योग्य हैं और आपके द्वारा चुकाया गया टैक्स आपकी अंतिम देनदारी से अधिक है।
रिफंड की स्थिति कैसे चेक करें?
ई-फाइलिंग पोर्टल:
- आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल (www.incometaxindiaefiling.gov.in) पर लॉगिन करें।
- "My Account" सेक्शन में जाएं और "Refund/Demand Status" का चयन करें।
- यहां आप अपने रिफंड की वर्तमान स्थिति देख सकते हैं।
टिन-एनएसडीएल पोर्टल:
- टीआईएन-एनएसडीएल (TIN-NSDL) वेबसाइट पर जाएं।
- "Status of Tax Refunds" विकल्प का चयन करें और अपना पैन नंबर और असेसमेंट ईयर डालें।
- यहां आप अपने रिफंड की स्थिति की जांच कर सकते हैं।
source: oneindia.com