UP News: कम नामांकन वाले स्कूल की होगी 'पेयरिंग', मिलकर बनेंगे मजबूत यूनिट, सभी जिलाधिकारियों को दिए निर्देश
Pairing of basic School
School Pairing in basic education department
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या कम होने की स्थिति में अब स्कूलों की 'पेयरिंग' की जाएगी। इसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वातावरण उपलब्ध कराना है।66
इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
Pairing of basic School |
परिषदीय विद्यालयों में जहां बच्चों की संख्या कम है, वहां पास के स्कूलों के साथ उनका समन्वय किया जाएगा। इसके तहत भवन, कक्षाएं, स्मार्ट क्लास, आईसीटी उपकरण, और शैक्षणिक सामग्री जैसे संसाधन साझा किए जाएंगे, जिससे इनका अधिकतम उपयोग संभव हो सकेगा।
स्कूल पेयरिंग की नीति के अंतर्गत कम नामांकन वाले स्कूलों को पास के बेहतर स्कूलों के साथ जोड़ा जाएगा और एक यूनिट के रूप में संचालित किया जाएगा। इससे शिक्षकों की बेहतर उपलब्धता, बाल वाटिका और स्मार्ट क्लास का कुशल संचालन, आईसीटी लैब और संसाधनों का प्रभावी उपयोग, पियर लर्निंग और शिक्षक क्षमता का समुचित प्रयोग, अभिभावकों से संवाद और बेहतर प्रबंधन, नामांकन में बढ़ोतरी और ड्रापआउट दर में कमी हो सकेगी।
अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि वह अपने जिले के ऐसे परिषदीय विद्यालयों की सूची बनाएं जहां नामांकन बेहद कम है। नजदीकी स्कूलों के साथ इनकी मैपिंग कराएं। खंड शिक्षा अधिकारियों से स्थलीय निरीक्षण कराएं। अभिभावकों, शिक्षकों व अन्य हितधारकों से संवाद स्थापित कर उनकी राय भी ली जाए।
मर्ज किए गए स्कूलों में शिक्षकों की भूमिका स्पष्ट हो और समयबद्ध कक्षा संचालन सुनिश्चित किया जाए। समस्याओं और सुझावों के समाधान के लिए बीएसए कार्यालय में प्रभावी तंत्र विकसित किया जाए।
साथ ही इसकी प्रगति की रिपोर्ट समय-समय पर बेसिक शिक्षा निदेशालय और राज्य परियोजना कार्यालय को भेजने के लिए भी कहा है। हालांकि योजना को लेकर शिक्षकों का एक वर्ग असहज है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह ने कहा है कि इस आदेश से कई स्कूल बंद हो जाएंगे। साथ ही यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कितने बच्चों से कम नामांकन वाले स्कूलों को मर्ज किया जाएगा।
हर जिले में दो मॉडल स्कूल होंगे विकसित
निर्देश में यह भी बताया गया है कि प्रदेश में दो तरह के मॉडल स्कूल भी विकसित किए जा रहे हैं। पहला, मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय होगा, जो पूर्व-प्राथमिक से कक्षा आठ तक संचालित होगा।
इस मॉडल विद्यालय में कम से कम 450 छात्र-छात्राओं की नामांकन क्षमता के अनुसार भवन और अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा। एक विद्यालय के उच्चीकरण पर लगभग 1.42 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
दूसरा मॉडल मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय है। इसकी स्थापना भी हर जिले में एक स्थान पर की जाएगी। यह स्कूल पूर्व-प्राथमिक से लेकर कक्षा 12 तक चलेगा और इसकी अनुमानित लागत 30 करोड़ रुपये तय की गई है।
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