शिक्षकों को ट्रेनिंग से लेकर छात्रों को निपुण बनाने तक के प्रयास हो रहे है। इसके लिए जनपद से लेकर प्रदेश स्तर पर रणनीति तैयार की गई है। पिक्चर स्टोरी कार्ड, बिग बुक्स, एनसीईआरटी की मदद ली जा रही है।
छात्रों में विज्ञानी सोच विकसित करने के लिए करके सीखने पर अधिक फोकस किया जा रहा है। आइआइटी गांधीनगर की मदद से 150 एफएलएन वीडियो तैयार किए गए है।
हर महीने शिक्षक संकुल की दो घंटे बैठक आयोजित कराई जा रही है। इन सभी मुद्दों को समायोजित करते हुए संवाददाता अंकुर त्रिपाठी ने प्रदेश के यूनिट इंचार्ज क्वालिटी आनंद कुमार पांडेय से बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ अंश...
प्रश्र - निपुण भारत अभियान के तहत शिक्षा की गुणवत्ता पर क्या-क्या कार्य हो रहे हैं ?
उत्तर - निपुण भारत अभियान के तहत सबसे पहले भाषा और गणित के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। भाषा और गणित की दक्षता तय वर्ष और ग्रेड के हिसाब से हासिल कर ली जाए। यह तभी संभव हो पाएगा जब रणनीति के तहत कार्य होंगे।
शिक्षकों को कैपेसिटी बिल्डिंग पर तैयार किया जा रहा है। क्लास रूम ट्रांसफार्मिंग और एक्टिविटी पर अधिक फोकस किया जा रहा है। इसके साथ ही सबसे बड़ा बदलाव स्ट्रक्चरल पैडालाजी को लागू किया गया है। संदर्शिका के माध्यम से लेसन प्लान को अपनाया जा रहा है।
सप्ताह के हिसाब से अलग से प्लान बनाए गए हैं। इन सभी टूल्स को असेंबल करके पूरे साल में छात्रों को निपुण बनाने की रणनीति के तहत कार्य हो रहे हैं। हर कक्षा में दिन के हिसाब से अभ्यास सामग्री उपलब्ध कराई गई है। जैसे पिक्चर स्टोरी कार्ड,बिग बुक्स, एनसीआरटी की किड्स की किताबें लगाई गईं हैं।
विभाग की ओर से आइआइटी गांधीनगर के साथ 150 एफएलएन फोकस वीडियो की मदद ली जा रही है। जब बच्चे खेलते खेलते सीखते है तो उनका तेजी से विकास होता है। इन सभी रणनीति के तहत बेसिक शिक्षा परिषद कार्य कर रहा है।
प्रश्न - प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं। जहां निपुण अभियान फेल साबित हो रहा है ऐसा क्यों ?
उत्तर - कैटिगरी वाइज छात्र को अलग कर लिया गया है। शिक्षकों की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं। हर जिले की अलग-अलग परिस्थितियां होती हैं। हो सकता हो छात्रों को विभाग की ओर से बनाई गई रणनीति के तहत न पढ़ाया जा रहा हो।
यह फिर वह समझ नहीं पा रहे हो। उनके लिए बेहतर टीचिंग तकनीक जिसका संदर्शिका में भली भांति वर्णन किया गया है। यदि यह शत प्रतिशत लागू हो गई तब बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा। दो साल कोरोना में निकल गए। एक साल रेमेडियल फोकस संदर्शिका लागू हुईं।
हर जिले में आ रही दिक्कतों से सीखते हुए प्लानिंग में बदलाव किया जाता है। कितना भी आदर्श सिस्टम बना दिया जाए कुछ बच्चों के साथ चैलेंज आते हैं। उनसे निपटने के लिए स्कूल,ब्लाक, क्लस्टर या फिर जिला स्तर यूनिट पर रेमेडियल और रिवीजन को इन्हीं एक्टिविटी के माध्यम से फोकस किया है,जिससे जहां छात्र पिछड़ रहे है। उन्हें भी अन्य छात्रों की तरह आगे लाया जा सके।
प्रश्न - नई शिक्षा नीति के तहत ट्रेनिंग पर अधिक फोकस है। डायट में कई प्रकार की ट्रेनिंग शिक्षकों को दी जाती है, लेकिन वह ट्रेनिंग का उपयोग कक्षा कक्ष में नहीं करते हैं। इसके लिए क्या करेंगे ?
उत्तर - ट्रेनिंग प्रोग्राम विभाग ने री डिजाइन किया गया है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान(डायट) में अब फिजिकल ट्रेनिंग नहीं रह गई है। सपोर्ट सिस्टम तैयार किया गया है। कक्षा के अलग चैलेंज होते हैं। रियल टाइम पर कार्य करने के लिए एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) का कंसेप्ट लाया गया है।
यह रियल टाइम गैप को सुधारने के लिए है।बच्चों के अलग अलग तरीके से सिखाने का तरीका खोजा गया है। हर महीने दो घंटे शिक्षक आइडिया शेयर कर रहे हैं, जो आइडिया अच्छा परिणाम दे रहा है।
उसे लागू किया जा रहा है। शिक्षक पढ़ाने के नए नए तरीकों को शेयर कर रहे है। डिजिटल शिक्षा पर विशेष फोकस है। इस साल टीचर ट्रेनिंग में टीचर हैंडआउट भी दे रहे हैं। क्या,कैसे और कब करना है। इसके लिए पूरा इको सिस्टम तैयार किया गया है।
प्रश्न - परिषदीय स्कूलों में पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। इससे क्या-क्या फायदे होंगे ?
उत्तर - पाठ्यक्रम में बदलाव छात्र हित किया गया है। निपुण भारत अभियान की दक्षता छात्र जल्द हासिल कर लें, कक्षा एक और दो में एनसीईआरटी की किताबों को लगाया गया है। कक्षाओं में अभ्यास सामग्री मुहैया कराई गई है।
खेल खेल में शिक्षा दी जा सके, जिसके लिए बिग बुक्स, मैथ्स किड्स, साइंस किड्स, कन्वर्सेशन चार्ट के साथ ही टीचर लर्निंग मैटेरियल(टीएलएम) के लिए शासन की ओर से फंड उपलब्ध कराया जा रहा है। हर कक्षा डिजिटल होने जा रही है। पहले चरण में सभी प्राथमिक स्कूलों में टेबलेट पहुंचाएं गए हैं। करीब साढ़े तीन हजार उच्च प्राथमिक स्कूल को डिजिटल किया जा रहा है।
हर ब्लाक में आइसीटी लैब बनाई गई है। राष्ट्रीय अविष्कार अभियान चलाया जाता है, छात्र अपनी समझ से प्रोजेक्ट बनाते है। उन्हें शासन से अनुदान दिया जाता है। उनके आइडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि विज्ञानी समझ विकसित हो रही है। एक्सपोजर विजिट से छात्र नई तकनीकी को सीख रहे है। जब छात्र खुद करके सीखते है तो उनका मानसिक विकास तेजी से होता है।
प्रश्र - संदर्शिकों की मदद से शिक्षक नहीं पढ़ाते हैं। इसकी मानिटरिंग कैसे की जाती है ?
उत्तर - प्रदेश के हर जिले में संदर्शिकाओं के माध्यम से ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है,जिससे निपुण भारत अभियान को बल मिल रहा है। हर स्कूल की अपनी अलग चुनौती होती है।
तय शेड्यूल के अनुसार तो पढ़ा रहे है। हो सकता है कि एक दो दिन कोई आगे पीछे हो सकता है,लेकिन सप्ताह के अंतिम दिन सब एक ही जगह खड़े होते है। विद्या समीक्षा केंद्र से हर जिले,हर ब्लाक,हर स्कूल की मानिटरिंग हो रही है।
प्रश्न - देश में सबसे पहले निपुण प्रदेश को निपुण घोषित करने के लिए क्या रणनीति बनाई गई है, जिससे हर बच्चा भाषा और गणित में निपुण हो जाए ?
उत्तर - सरकार ने निपुण लक्ष्य को हासिल करने का 2026 को टारगेट रखा है। इसके लिए टीचर ट्रेनिंग,संदर्शिका,क्लास रूम ट्रांसफॉर्मेशन , एनवायरमेंट ट्रांसफार्म और डेटा की मानिटरिंग हो रही है। जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी हर महीने समीक्षा कर रहे है।
शिक्षक संकुल,एआरपी, एसआरजी और डायट मेंटर को स्कूल आवंटित किए गए हैं। हर शिक्षक की जवाबदेही तय की गई है। इस बार खंड शिक्षा अधिकारियों को भी अपने आसपास के स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य दिया गया है। हर महीने शासन के अधिकारी प्रत्येक जनपद का निरीक्षण कर रहे है,जिससे अभियान की जमीनी हकीकत का भी पता चल सके।
प्रश्न - निपुण आकलन का कोई समय तय नहीं है ऐसा क्यों ?
उत्तर - प्रतिदिन शासन की ओर से उपलब्ध कराई गई सामग्री से हर स्कूल में छात्र की पढ़ाई को ट्रैक किया जा रहा है। इसके साथ ही त्रैमासिक अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं के माध्यम से छात्रों का आकलन किया जा रहा है।
पिछले बार से सीखते हुए इस बार आकलन करने में कुछ बदलाव किए गए है। इस बार दो यूनिट टेस्ट होंगे। इसके साथ ही थर्ड पार्टी असेसमेंट डीएलएड प्रशिक्षुओं के माध्यम से किया जाएगा। अक्टूबर में होने वाले पहले चरण के असेसमेंट के लिए शिक्षक अपने को सितंबर में नामांकित करेंगे।
पहले चरण के सेल्फ नामांकन की प्रकिया में जो लोग नहीं तैयार हैं वह अपने को दिसंबर में नामांकित करेंगे। इन दोनों में जो अपने आप को नामांकित नहीं करेगा उसे फरवरी में परीक्षा से होकर गुजरना पड़ेगा। फरवरी में होने वाली परीक्षा अनिवार्य होगी। हर हाल में विभाग तय समय से पहले लक्ष्य हासिल करने को तैयार है।
प्रश्न - जब एप के माध्यम से छात्रों का आकलन किया जाता है। तब कई तकनीकी दिक्कतें आती हैं,जिससे निपटने के लिए क्या योजनाएं हैं ?
उत्तर - एप में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। समय समय पर एप को अपडेट किया जाता है। मशीन झूठ नहीं बोलती है। शिक्षकों को अपने आप को अपडेट करते रहना चाहिए। यदि एप में कोई परेशानी आती है तो उसे तत्काल दूर कराया जाता है। एप के माध्यम से अब स्कूलों में पढ़ाई भी कराई जा रही है।