B.Ed Syllabus: IT और कंप्यूटर शिक्षा होगी अनिवार्य, मशीन लर्निंग और AI के बढ़ते उपयोग के चलते लिया गया निर्णय

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B.Ed Syllabus: IT और कंप्यूटर शिक्षा होगी अनिवार्य, मशीन लर्निंग और AI के बढ़ते उपयोग के चलते लिया गया निर्णय

मशीन लर्निंग और कृत्रिम बौद्धिमत्ता (AI) का उपयोग आम जीवन में तेजी से बढ़ता जा रहा है। आज इन नई विद्याओं से जीवन का कोई क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। यही वजह है कि बीएड में सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर पाठ्यक्रम को अनिवार्य किया गया।


यह शिक्षा सभी चरणों (फाउंडेशन, प्रीप्रेटरी, मिडिल और सेकेंडरी स्टेज) के बीएड विद्यार्थियों को लेनी होगी।

देश में अध्यापक शिक्षा के लिए मानदंडों और मानकों को तैयार करने वाले राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने चार-वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आइटीईपी) की पाठ्यक्रम रूपरेखा तैयार की है। इसके मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर पाठ्यक्रम का उद्देश्य बीएड करने वाले विद्यार्थियों को शिक्षा में आइसीटी के महत्त्व, इसकी ताकत और विशेष रूप से स्कूली शिक्षा में महत्त्वपूर्ण सावधानियों के बारे में रूबरू करना है।

इस दौरान बीएड के विद्यार्थियों को शिक्षण-सीखने-मूल्यांकन प्रक्रियाओं में सुधार और स्कूली विद्यार्थियों के सीखने के परिणामों को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों और संसाधनों सहित विभिन्न आइसीटी उपकरणों का उपयोग करने में कौशल विकसित करने के अवसर मिलेंगे।

शिक्षकों को AI, मशीन लर्निंग से करवाया जाएगा अवगत

इसके जरिए से शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में कृत्रिम बौद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग आदि जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों के महत्त्व से अवगत कराया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर पाठ्यक्रम दो क्रेडिट का होगा और यह पांचवें सेमेस्टर में बढ़ाया जाएगा।

इतना ही नहीं बीएड में समाज को समझने का भी एक पाठ्यक्रम शामिल किया गया है। दूसरे सेमेस्टर में पढ़ाया जाने वाला यह पाठ्यक्रम दो क्रेडिट का होगा। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य सांस्कृतिक लोकाचार, परंपराओं और विविधता के आधार पर समाज के एक वास्तुकार के रूप में और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एक एजंट के रूप में एक शिक्षक की भूमिकाओं और दायित्वों के बारे में विद्यार्थी-शिक्षकों के बीच समझ विकसित करना है।

यह पाठ्यक्रम शिक्षक की भूमिकाओं को पुन: व्यवस्थित करने और पाठ्यचर्या की सीमाओं से परे शिक्षण के महत्त्व की समझ विकसित करेगा ताकि एक शिक्षक को एक समावेशी, सामंजस्यपूर्ण और विकासशील भारत के वास्तुकार के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाया जा सके।

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