आखिरकार 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, सामान्य वर्ग ने आरक्षित वर्ग को दोहरे लाभ पर जताई आपत्ति, 16दिसंबर को अगली सुनवाई
69000 teacher vecancy supreme court matter
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला मामले की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष हुई बहस में चयनित सामान्य वर्ग के शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी टीईटी में उम्र, शुल्क और उत्तीर्णता अंक की छूट ले रहे और यह सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा में भी छूट ले रहे, जो गलत है।
उन्होंने कहा, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरा लाभ नहीं ले सकते। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक बार कम कटऑफ अंकों का लाभ ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में वे पक्षकार नहीं थे। हमने कोविड काल में भी सेवाएं दीं, ऐसी स्थिति में हमें हाईकोर्ट में नहीं सुना गया। मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया जाए। इस पर आरक्षित वर्ग के वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकट सुब्रमण्यम गिरी और निधेश गुप्ता ने कहा, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट को गुमराह कर रहे। वे लखनऊ हाईकोर्ट की एकलपीठ तथा खंडपीठ में पक्षकार थे। इन्हें नोटिस दिया गया था।
16 दिसंबर को होगी अगली सुनवाईः सुनवाई के दौरान अचयनित सामान्य वर्ग से ईडब्ल्यूएस के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामला लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश पर है। हमें इसे सुनकर निस्तारित करना है, इसलिए ईडब्ल्यूएस मुद्दे को हम इसमें शामिल करके नहीं सुन सकते। कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस मुद्दे को इस मामले से अलग कर दिया।
दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग का कहना था कि 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की लिस्ट 1 जून 2020 को प्रकाशित हुई तथा आरक्षण घोटाले के तहत यह मामला हाईकोर्ट की एकलपीठ में अगस्त 2020 को पहुंच गया था। इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती में आरक्षण नियमों का ठीक से पालन नहीं किया गया और करीब 19,000 सीटों का घोटाला हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर रद्द कर दी थी मेरिट लिस्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को आरक्षण को लेकर मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी और सरकार को 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और दोनों पक्षों से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि 2018 में यूपी सरकार ने 69 हजार सहायक शिक्षक पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना निकाला था।
إرسال تعليق