क्या है UPS जिसे सरकार बना रही है ओल्ड पेंशन स्कीम का विकल्प, इससे किसको होगा फायदा?
UPS Pension
UPS Pension: केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को राहत देते हुए उन्हें यह सुविधा दी है कि वे 30 सितंबर 2025 तक NPS को छोड़कर UPS पेंशन स्कीम का चुनाव कर सकते हैं.
सरकार का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि वो अपने कर्मचारियों को बेहतर पेंशन स्कीम उपलब्ध कराए. जो कर्मचारी अभी UPS का चुनाव करेंगे, उन्हें सरकार एक बार का विकल्प दे रही है कि अगर वे चाहें तो वापस NPS में लौट सकते हैं. कर्मचारियों को यह सुविधा मिली है कि वे रिटायरमेंट से एक साल पहले तक या VRS से तीन महीना पहले इस विकल्प का चुनाव कर सकते हैं.
UPS Pension |
क्या है UPS?
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को 30 सितंबर तक UPS स्कीम का चुनाव करने का विकल्प दिया है. इस स्कीम के तहत हर महीने कर्मचारी और केंद्र सरकार दोनों का योगदान जमा होता है. कर्मचारी जब अपनी नौकरी से रिटायर हो जाता है, तब उसे नियमित पेंशन मिलती है. इसके लिए जरूरी शर्त यह है कि कर्मचारी कम से कम 10 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है. इस पेंशन स्कीम को सरकार ने 2024 के अगस्त महीने में मंजूरी दी थी. यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू है. सरकार इस स्कीम को बेहतर बता रही है, बावजूद इसके अब तक केवल 40,000 कर्मचारी ही इसमें शामिल हुए हैं, जबकि इसके दायरे में लगभग 24 लाख केंद्रीय कर्मचारी आते हैं?
समझें क्या है OPS, UPS और NPS
केंद्रीय कर्मचारी लगातार यह मांग कर रहे हैं कि सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी करे. हालांकि सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के बाद UPS का विकल्प दे दिया है. बावजूद इसके कर्मचारियों का रुझान ओल्ड पेंशन स्कीम की तरफ ही है. इसकी वजह यह है कि इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को कोई योगदान नहीं देना होता था और कर्मचारी के रिटायरमेंट के बाद सरकार आखिरी बेसिक वेतन का 50% और डीए पेंशन के रूप में देती थी. 1 जनवरी 2004 से पहले भर्ती हुए सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत आते थे. यह एक गारंटीड पेंशन स्कीम है.
Pension | OPS (Old Pension Scheme) | NPS (National Pension System) | UPS (Unified Pension Scheme) |
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लागू होने की तारीख | 1 जनवरी 2004 से पहले भर्ती कर्मचारियों पर लागू | 1 जनवरी 2004 से सभी नई भर्तियों पर लागू | 1 अप्रैल 2025 से वैकल्पिक रूप से लागू |
योगदान (Contribution) | कोई योगदान नहीं, पूरा सरकार देती है | कर्मचारी: 10% + सरकार: 14% (Basic + DA) | कर्मचारी: 10% + सरकार: 10% + सरकार का अतिरिक्त 8.5% (pool corpus के लिए) |
पेंशन का स्वरूप | अंतिम बेसिक पे + DA का 50% (गारंटीड) | बाजार आधारित, कॉर्पस पर निर्भर (नो गारंटी) | पिछले 12 महीनों के औसत बेसिक पे का 50% (गारंटीड, 25 साल सेवा पर) |
न्यूनतम पेंशन | हां, गारंटीड (राशि अंतिम वेतन पर निर्भर) | नहीं | हां, कम से कम ₹10,000 (10 साल सेवा पर) |
पारिवारिक पेंशन | हां (50% तक) | हां, कॉर्पस पर निर्भर | हां, पेंशन का 60% जीवनसाथी को |
लचीलापन (Switch option) | लागू नहीं | NPS से बाहर नहीं निकल सकते | UPS अपनाने वालों को एक बार NPS में लौटने का विकल्प |
सरकार पर बोझ | बहुत ज़्यादा (सीधे खजाने से भुगतान) | कम (बाजार आधारित निवेश) | संतुलित (योगदान + pool corpus) |
लोकप्रियता | कर्मचारियों की पहली पसंद (लेकिन बंद) | लागू, पर असुरक्षित माना जाता है | नया विकल्प, अभी कर्मचारियों की झिझक |
2004 से सरकार ने NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) लागू किया. इस स्कीम के तहत पेंशन पूरी तरह बाजार से जुड़ी है. इस स्कीम के तहत कर्मचारी और सरकार का योगदान मिलाकर जो कॉर्पस (fund) बनता है, उसी पर रिटायरमेंट की आय निर्भर करती है. इस वजह से कर्मचारियों का पेंशन अनिश्चित हो जाता है, जो बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. OPS स्कीम सरकारी खजाने पर बोझ डालती है, इसलिए वित्त मंत्रालय OPS को फिर से लागू करने के पक्ष में नहीं है. वहीं NPS को कर्मचारी असुरक्षित मानते हैं क्योंकि इसमें पेंशन की कोई गारंटी नहीं है.
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