"काला कानून वापस लो"... शिक्षकों का फूटा गुस्सा, नहीं मनायेंगे Teacher's Day
Supreme Court TET Decision: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों को TET एग्जाम पास करने की अनिवार्यता के आदेश के बाद से शिक्षक समाज काफी आहत है। कोर्ट के आदेश के अनुसार शिक्षण सेवा में बने रहने और प्रमोशन पाने के लिए शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी है।
कोर्ट के इस फैसले से शिक्षकों में आक्रेश है। और हो भी क्यूं न, प्रदेश में ऐसे कई शिक्षक हैं जो टीचर का नौकरी के लिए TET एग्जाम पास करने का पात्रता लागू होने से पहले ही सालों से शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे में सिर्फ एक एग्जाम पास करना उनके सालों केq अनुभव से ज्यादा मायने कैसे रख सकता है, ये सवाल आज सभी शिक्षकों की जुबान पर है। कोर्ट के इस निर्णय से देश भर के 10 लाख से अधिक सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है।
बता दें कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने 2010 में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए एक न्यूनतम योग्यता तय की थी जिसके अनुसार, शिक्षकों की नियुक्ति के लिए TET पास करना जरूरी होगा। इसके बाद से ही यह परीक्षा किसी भी अध्यापक की शिक्षण गुणवत्ता सुनिश्चित करने का माध्यम मानी जाती है।
निर्णय से शिक्षक दुखी व चिंतित
कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। आज शिक्षक दिवस के दिन प्रदेश के शिक्षकों ने विरोध जताते हुए शिक्षक दिवस (Teacher's Day 2025) न मनाने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि, "प्रदेश के शिक्षक अपनी नौकरी पर मंडराते खतरे के बीच शिक्षकों दिवस कैसे मना सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि "इस निर्णय से शिक्षक दुखी व चिंतित हैं।" संगठन की ओर से 5 सितंबर (5 September 2025) को किये जाने वाले सम्मान के कार्यक्रम भी स्थगित कर दिये हैं।
सोशल मीडिया पर जता रहे विरोध
शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना के कोर्ट के फैसले पर शिक्षक समाज जोर शोर से विरोध जाताने में लगा है। इसी क्रम में सोशल मीडिया पर #काला_कानून_वापस_लो टेंड कर रहा है। लोग अपने अपने सोशल मीडिया हेंडल पर इसी हैशटैग के साथ पोस्ट कर रहे हैं और ये कोर्ट को फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
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