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UP Vocational Education : UP Board के विद्यार्थियों को दक्ष बनाएगी व्यावसायिक शिक्षा, संशोधित पाठ्यक्रम भी जारी

UP Vocational Education : UP Board के विद्यार्थियों को दक्ष बनाएगी व्यावसायिक शिक्षा, संशोधित पाठ्यक्रम भी जारी

UP Vocational Education : UP Board 

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ अपने हुनर को भी संवारेंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने विद्यार्थियों को औपचारिक शिक्षा के साथ कौशल आधारित शिक्षा पर जोर दिया है।

इसके तहत अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2026-27 से कक्षा नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया है। परिषद की वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के लिए संशोधित पाठ्यक्रम भी जारी कर दिया गया है।

UP Vocational Education : UP Board
UP Vocational Education : UP Board 

2004 से इसका संचालन राज्य सरकार के हाथों में

व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत वर्ष 1989 में केंद्र पोषित हुई थी। वर्ष 2004 से इसका संचालन राज्य सरकार के हाथों में आ गया, लेकिन लंबे समय तक यह योजना केवल कागजों में ही सीमित रही। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रविधानों के अनुरूप इसे वास्तविक रूप से लागू करने की तैयारी है। नई व्यवस्था के तहत माध्यमिक विद्यालयों के संचालकों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे बिना किसी अतिरिक्त मान्यता के व्यावसायिक शिक्षा शुरू कर सकें।

अनिवार्य रूप से व्यावसायिक शिक्षा

याेगी सरकार का व्यावसायिक शिक्षा काे अनिवार्य करने का मकसद है कि विद्यार्थी औपचारिक शिक्षा के साथ किसी एक ट्रेड में दक्ष बनकर रोजगार या स्वरोजगार के लिए तैयार हो सकें। अब कक्षा नौवीं से छात्र अनिवार्य रूप से व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करेंगे। इसमें कक्षा 11 और 12 के लिए अलग-अलग ट्रेड विषयों के पाठ्यक्रम जारी किए गए हैं। इनमें आधुनिक जरूरतों के अनुरूप कई नए विषय जोड़े गए हैं।

तकनीकी और सेवा क्षेत्र की मांगों के अनुसार तैयार करना

कक्षा 11 में घरेलू उपकरण रिपेयरिंग, कंप्यूटर मेंटीनेंस आदि जैसे और कक्षा 12 वीं मोबाइल रिपेयरिंग, हेल्थ केयर, सूचना प्रौद्योगिकी, रिटेल ट्रेडिंग, सिक्योरिटी सर्विसेज, कंप्यूटर टेक्निकल मेंटीनेंस सहित कई अन्य विषय को शामिल किया गया है। इन विषयों का उद्देश्य विद्यार्थियों को तकनीकी और सेवा क्षेत्र की मांगों के अनुसार तैयार करना है।

पाठ्यक्रम में नए ट्रेड विषय

विशेषज्ञों का मानना है कि पाठ्यक्रम में नए ट्रेड विषयों को शामिल करना छात्रों के कौशल विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल बेरोजगारी की समस्या घटेगी, बल्कि विद्यार्थी 12वीं तक किसी एक क्षेत्र में दक्ष होकर आत्मनिर्भर बन पाएंगे। वहीं, परिषद की मंशा है कि अधिक से अधिक विद्यार्थी ट्रेड विषयों का चयन करें ताकि प्रदेश में शिक्षित युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।

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