पूरे प्रदेश में औसत ड्राप आउट रेट 12 फीसदी है। यूपी के आठ जिलों बस्ती, बदायूं, इटावा, गाजीपुर, एटा, महोबा, हरदोई और आजमगढ़ में ड्राप आउट प्रदेश के औसत से भी ज्यादा है। बस्ती में सबसे ज्यादा 23.3 फीसदी छात्र-छात्राओं ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। बदायूं 19.1 फीसदी के साथ दूसरे नम्बर पर है। इटावा, गाजीपुर, एटा, महोबा, हरदोई और आजमगढ़ में भी ड्राप आउट रेट 15 फीसदी से अधिक है। बरेली मंडल की बात की जाए तो बरेली जिले में 8.93 फीसदी, शाहजहांपुर में 11.30, पीलीभीत में 10.84 फीसदी छात्र बीच में ही पढाई छोड़ दे रहे हैं। खीरी में भी 12.66 फीसदी ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
पढ़ाई छोड़ने के ये हैं कारण
- अपने घर के कार्यों में लगे रहना
- पुश्तैनी दस्तकारी, जरी आदि के काम
- घरेलू सहायिका के रूप में कार्य
- भाई-बहनों की देखभाल करना
- विद्यालय घर से दूर पर स्थित होना
- गंभीर रूप से दिव्यांगता का होना
- अभिभावकों का गंभीर नहीं होना
ड्रॉपआउट रेट कम करें
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बढ़ता ड्राप आउट कम करने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलों में प्राथमिक से उच्च प्राथमिक, उच्च प्राथमिक से माध्यमिक व माध्यमिक से उच्च शिक्षा में प्रवेश कराने पर जोर दिया है। इसके लिए मिशन ट्रांजिशन चलाने के निर्देश दिए गए हैं।
डीआईओएस, सोमारू प्रधान ने कहा कि नए सत्र में ड्रॉपआउट रेट को कम करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। माध्यमिक और बेसिक स्कूलों में सामंजस्य स्थापित कर पूरी क्षमता से मिशन ट्रांजिशन को चलाया जाएगा ताकि कोई बच्चा बीच मे पढ़ाई न छोड़े।