रिफंड पाने के लिए ITR में हुई गड़बड़ी को 31 दिसंबर तक जल्द सुधारें, आयकर विभाग ने करदाताओं को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित किया Tax Refund

रिफंड पाने के लिए ITR में हुई गड़बड़ी को 31 दिसंबर तक जल्द सुधारें, आयकर विभाग ने करदाताओं को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित किया

आयकर विभाग ने हजारों करदाताओं को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित किया है कि उनके आयकर रिटर्न में गलती होने के कारण रिफंड रोक दिया गया है। ऐसे करदाताओं को 31 दिसंबर तक संशोधित (रिवाइज) रिटर्न दाखिल करने को कहा गया है। विभाग का कहना है कि कुछ करदाताओं ने ऐसे रिफंड का दावा किया है, जिनके लिए वे हकदार नहीं थे। इन लोगों को सुधार का मौका दिया जा रहा है। उन्हें तय समय तक संशोधित रिटर्न दाखिल करना होगा। इसके बाद मोटा जुर्माना वसूला जा सकता है। करदाताओं को रिवाइज और अपडेटेड रिटर्न में अंतर समझना जरूरी है ताकि आगे किसी तरह की गड़बड़ी न हो।

हर साल करोड़ों लोग आयकर रिटर्न भरते हैं लेकिन कई बार जल्दबाजी, असमंजय या जानकारी की कमी के कारण छोटी-मोटी गलतियां हो जाती हैं। किसी से आय का कोई हिस्सा छूट जाता है, तो कोई गलत कर दावा भर देता है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो तय समय पर आईटीआर दाखिल ही नहीं कर पाते। ऐसे में उनके पास रिवाइज्ड और अपडेटेड आईटीआर दाखिल करने का विकल्प बचता है।

सरकार ने करदाताओं को राहत देने के लिए ये विकल्प दिए हैं, जिनसे न सिर्फ गलतियां सुधारी जा सकती हैं, बल्कि समयसीमा चूकने के बाद भी रिटर्न दाखिल करने का मौका दिया जाता है। इसका मकसद साफ है कि लोग डर के बजाय ईमानदारी से आगे आएं और कर नियमों का पालन करें। इसके लिए करदाताओं को रिवाइज्ड और अपडेटेड आयकर रिर्टन में अंतर समझना भी जरूरी है।




क्या है मूल फर्क: रिवाइज्ड और अपडेटेड आईटीआर में कई अंतर हैं। संशोधित (रिवाइज्ड) रिटर्न तभी भरा जा सकता है, जब मूल (ओरिजिनल) रिटर्न पहले से दाखिल हो। जबकि अपडेटेड आईटीआर बिना मूल रिटर्न के भी भरा जा सकता है। संशोधित रिटर्न में टैक्स बढ़ाने या घटाने की आजादी होती है, लेकिन अपडेटेड रिटर्न केवल अतिरिक्त कर चुकाने के लिए ही मान्य है। इसके अलावा संशोधित रिटर्न चूकने पर सीधे जुर्माना नहीं लगता, जबकि अपडेटेड आईटीआर में अतिरिक्त कर और जुमनि का भुगतान करना पड़ता है। इन अंतर को समझकर करदाता अपनी स्थिति के अनुसार सही विकल्प चुन सकते हैं।


करदाताओ के लिए जरूरी सलाह : अगर किसी करदाता ने समय पर रिटर्न भरा है और गलती हुई है तो रिवाइज्ड आईटीआर सबसे बेहतर विकल्प है। अगर अब तक कोई रिटर्न नहीं भरा है तो अपडेटेड आईटीआर भरना होगा लेकिन इसमें अतिरिक्त टैक्स और जुर्माने का बोझ पड़ सकता है। इसलिए आखिरी तारीख से पहले सही विकल्प चुनना समझदारी है, इससे नोटिस और परेशानी से बचा जा सकता है।


आयकर विभाग का विशेष अभियान: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अपनी नई पहल के तहत करदाताओं को संभावित गलतियों की जानकारी देने की प्रक्रिया शुरू की है। इसका उद्देश्य करदाताओं को अपने आयकर रिटर्न में स्वेच्छा से सुधार करने के लिए प्रेरित करना है। बोर्ड के अनुसार, कुछ करदाताओंने ऐसे रिफंड का दावा किया है, जिनके लिए वे हकदार नहीं थे। इसमें गैर-मान्यताप्राप्तराजनीतिकपार्टियोंको की गईनकली दान राशि और अन्यगलत छूट या कटौती शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में लाभार्थियों के पैन नंबर गलत या अमान्य पाए गए हैं और कुछ मामलों में दावा की गई राशि में भी त्रुटियां हैं। बोर्ड का कहना है कि यह पहल सिर्फ करदाताओं को रिटर्न सुधारने की याद दिलाने के लिए हैं और उनके पास 31 दिसंबर तक समय है।



आईटीआर-यू के प्रकार और अंतर को ऐसे समझें-

1. संशोधित आयकर रिटर्न (रिवाइज रिटर्न)

कोई करदाता सबसे पहले जो रिटर्न दाखिल करता है, उसे मूल (ओरिजनल) आईटीआर कहा जाता है। अगर उसमें कोई गलती हो गई है, आय की जानकारी में त्रुटि या कोई जरूरी विवरण भरना छूट गया है तो करदाता उसमें बदलाव कर सकते हैं। इसे संशोधित (रिवाइज) रिटर्न कहा जाता है।

खास बातें

संशोधित रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि आकलन वर्ष समाप्त होने से तीन माह पहले तक होती है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक दाखिल कर सकते हैं।

संशोधित रिटर्न को कई बार दाखिल किया जा सकता है। इस पर कोई

अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है। यदि संशोधतन के कारण कर राशि बढ़ जाती है तो ब्याज और जुर्माना लग सकता है। 



2. अपडेटेड आयकर रिटर्न

एक करदाता आकलन वर्ष की 31 दिसंबर तक संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकता है। हालांकि, यदि वह अतिरिक्त आय का खुलासा करना चाहता है, तो अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकता है

खास बातें

इसकी समय सीमा आकलन वर्ष की समाप्ति से चार साल के भीतर होती है। पहले यह सीमा दो साल तक थी। इस साल पेश बजट में यह समयसीमा बढ़ाई गई है। इसके लिए अतिरिक्त कर का भुगतान करना आवश्यक है।

इसके अलावा जो करदाता विलंबित रिटर्न भरने से भी चूक जाते हैं, वे भी अपडेटेड रिटर्न 48 माह के भीतर दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें जुर्माना चुकाना पड़ेगा।

इस आयकर रिटर्न को पहली बार 2022 में पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य करदाताओं को अपनी अतिरिक्त आय का खुलासा करने के लिए अवसर देना है।



3. विलंबित आयकर रिटर्न

किसी भी आकलन वर्ष के लिए आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई होती है। इस बार विभाग ने अंतिम तिथि बढ़ाकर 16 सितंबर कर दी थी। यदि करदाता तय समय पर रिटर्न नहीं भर पाता तो वह विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकता है।

खास बातें

विलंबित रिटर्न को 31 दिसंबर तक दाखिल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी ने 16 सितंबर तक 2025 तक रिटर्न दाखिल नहीं किया, तो उसे 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित रिटर्न दाखिल करने का मौका मिलेगा।

विलंबित रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज और जुर्माना लगता है। यदि वार्षिक आय 5 लाख से अधिक है तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा। यदि कम है जुर्माना 1,000 रुपये होगा।

अगर कर अदायगी बनती है तो एक प्रतिशत प्रति माह के हिसाब से ब्याज देना होगा, विलंबित रिटर्न को संशोधित किया जा सकता है।

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