टीईटी बना शिक्षकों की टेंशन, सुप्रीम फैसले से बढ़ी बेचैनी, NCTE की संशोधित गाइडलाइन वापस लेने की बढ़ रही मांग
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद से प्रदेश के 4.50 लाख से अधिक शिक्षकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। शिक्षक खुद को दोराहे पर खड़ा पा रहा है। अब यह तय किया जा रहा है कि वह इस निर्णय पर पुर्नविचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करें या फिर आंदोलन का रास्ता अपनाएं।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से सात सितंबर को इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। बैठक में केंद्र सरकार पर इस मामले में हस्तक्षेप करने की रणनीति बनाई जाएगी। साथ ही इस मामले में आगे और क्या किया जाए इस पर भी निर्णय लिया जाएगा।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि सभी जिलों के जिलाध्यक्ष व प्रदेश के पदाधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे। उनसे वार्ता कर आगे का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम प्रदेश व केंद्र सरकार से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे और शिक्षक विरोधी एक्ट वापस लेने की मांग करेंगे। यदि सरकार मांग नहीं मानती है तो देशव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया जा सकता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि किसी भर्ती के पूर्व सरकार द्वारा संबंधित पद के लिए जो भी योग्यता निर्धारित की जाती है उसको पूरा करने वाले अभ्यर्थी ही भर्ती किये जाते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा समय समय पर शिक्षकों की भर्ती के लिए जो भी योग्यता निर्धारित की गई, उसको पूरा करने पर ही शिक्षक भर्ती हुए हैं।
ऐसे में 25-30 साल पहले निर्धारित योग्यता पर नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान भर्ती के लिए निर्धारित योग्यता थोपने को बनाया गया कोई भी कानून केवल काला कानून ही कहा जाएगा। 23 अगस्त 2010 की एनसीटीई की गाइडलाइन में संशोधन देश भर के शिक्षकों के साथ धोखा है। इसी संशोधन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के बेसिक शिक्षकों को दो साल में टेट करना अनिवार्य कर दिया है। अन्यथा सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश जारी किया है।
आरटीई एक्ट का उल्लंघन :
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा है कि आरटीई एक्ट में साफ कहा गया है कि 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता नही है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने शिक्षकों को अंदर से हिला दिया है। संगठन इसके लिए हर सम्भव लड़ाई लड़ेगा। प्रांतीय महासचिव दिलीप चौहान ने कहा 20 से 25 साल नौकरी करने के बाद अचानक से यह कह देना कि बिना टीईटी सेवा से बाहर होना पड़ेगा। यह शिक्षकों और उनके परिवार के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
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