dilapidated school buildings Basic Education Department
जर्जर स्कूल भवनों के कायाकल्प के बारे में महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि बरसात के बाद संबंधित विद्यालयों की मरम्मत और नए सिरे से निर्माण के कार्य को तेजी से शुरू किया जाएगा ताकि सभी कार्य अगले वर्ष मार्च तक पूरे हो जाएं।![]() |
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नए सिरे से सर्वे कर और भी जर्जर स्कूल भवनों की पहचान की जा रही है ताकि कोई जीर्ण-शीर्ण भवन छूट न जाए। जिन भवनों को तकनीकी समिति द्वारा जर्जर घोषित कर दिया जाता है उसमें किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधि नहीं हो सकती। बच्चों की पढ़ाई के लिए वैकल्पिक कक्ष, पंचायत भवन, ग्राम सचिवालय जैसे सुरक्षित स्थानों पर व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में लगभग 1.32 लाख परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। पिछले पांच वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग ने 8,128 विद्यालयों
की मरम्मत और पुनर्निर्माण कराया है।
बाढ़ से प्रति वर्ष ढह जाते हैं आठ से 10 स्कूल
प्रदेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों में प्रति वर्ष आठ से 10 स्कूल ढह जाते हैं। इस बार भी बलिया जिले के कई विद्यालयों को नुकसान पहुंचा है। बारिश के मौसम में छतों पर पानी भरने, पत्ते जमने और जलनिकासी की कमी से भवनों में सीलन व क्षरण की समस्या बढ़ जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए नगर व ग्राम पंचायतों को स्कूलों में नियमित सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। जो भवन पूरी तरह से अनुपयोगी हैं, उन्हें 'निष्प्रयोज्य' घोषित कर सील करने के निर्देश दिए गए हैं।
बारिश ने रोकी स्कूलों के सर्वे की प्रक्रिया
प्रदेश में हो रही लगातार बारिश ने परिषदीय स्कूलों के पुनर्गठन की योजना पर रोक लगा दी है। कई जिलों में विद्यालयों में जलभराव की स्थिति बन गई है, जिससे खंड शिक्षा अधिकारी तय समय पर विद्यालयों का भौतिक सत्यापन नहीं करा पा रहे हैं। स्कूलों के विलय और विलग होने की प्रक्रिया इस वजह से बाधित हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने पूरे प्रदेश में 10,684 परिषदीय विद्यालयों का अन्य विद्यालयों में विलय किया है।

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