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परिषदीय बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ेगी ISRO की मोबाइल प्रयोगशाला, विलेज साइंटिस्ट प्रोग्राम' के माध्यम से यूपी में बड़ा अभियान शुरू होगा Space science study

परिषदीय बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ेगी ISRO की मोबाइल प्रयोगशाला, विलेज साइंटिस्ट प्रोग्राम' के माध्यम से यूपी में बड़ा अभियान शुरू होगा

Space science Basic Education Department


 लखनऊः अब प्रदेश के गांवों में भी बच्चों को राकेट, चंद्रयान और उपग्रह तकनीक की समझ होगी। खेत-खलिहानों के बीच पले-बढ़े बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ने के लिए इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) 'विलेज साइंटिस्ट प्रोग्राम' के माध्यम से एक बड़ा अभियान शुरू कर रहा है।

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इसरो स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक व विशिष्ट वैज्ञानिक एनएम देसाई की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और इस योजना का प्रस्तुतीकरण किया। मुख्यमंत्री ने इस अभियान को प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। फिलहाल इसरो ने प्रदेश के 15 जिलों में सरकारी स्कूलों में स्पेस लैब स्थापित की है, जिनसे 10,000 से अधिक छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। 


अब इसे प्रदेश के सभी 75 जिलों में विस्तार देने की योजना है। इसके तहत गांवों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह तकनीक और डाटा प्रोसेसिंग से जोड़ा जाएगा। इस योजना को व्योमिका स्पेस संस्था के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 'स्पेस आन व्हील्स' बस के माध्यम बच्चों तक मोबाइल प्रयोगशाला पहुंचेगी। इसरो वैज्ञानिकों द्वारा वेबिनार और सेमिनार का आयोजन होगा। छात्रों को इसरो सेंटर का शैक्षिक भ्रमण कराया जाएगा। हर जिले के 75 स्कूलों से चयनित बच्चों द्वारा शैक्षिक सैटेलाइट पेलोड तैयार कर राष्ट्रीय स्तर पर प्रक्षेपण कराया जाएगा।


इसरो के विलेज साइंटिस्ट प्रोग्राम से जुड़ेगा हर गांव

मुख्यमंत्री के समक्ष इसरो एसएसी के प्रतिनिधिमंडल ने किया प्रस्तुतीकरण

 बेसिक स्कूलों में स्पेस साइंस और स्टेम लैब (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्थापित की जाएंगी। इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर ने मुख्यमंत्री को अहमदाबाद स्थित सैटेलाइट कैंपस का दौरा करने का विशेष निमंत्रण दिया है, जहां उन्हें चंद्रयान-3, आदित्य एल-1, गगनयान, कार्टोसैट-3 जैसी परियोजनाओं की प्रयोगशालाएं और तकनीकी क्षमताएं दिखाई जाएंगी। इसरो की यह पहल न केवल गांवों के बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करेगी, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की नींव भी मजबूत करेगी।

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