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यूपी बोर्ड: अग्रिम पंजीकरण में बदलाव, 10 रुपये रखकर 40 रुपये कोषागार में जमा करेंगे अब विद्यालय UP BOARD REGISTRATION

यूपी बोर्ड: अग्रिम पंजीकरण में बदलाव, 10 रुपये रखकर 40 रुपये कोषागार में जमा करेंगे अब विद्यालय

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प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने कक्षा नौ और 11 के छात्र-छात्राओं के अग्रिम पंजीकरण शुल्क की पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू कर दिया है। अब प्रत्येक छात्र से लिए गए 50 रुपये पंजीकरण शुल्क में से 10 रुपये विद्यालय अपने खाते में जमा करेंगे, जबकि शेष 40 रुपये कोषागार में जमा कराए जाएंगे। यह व्यवस्था वर्ष 2018 से पहले लागू थी, जिसे अब शासन की मंजूरी के बाद पुनः बहाल किया गया है।

वर्ष 2018 में इस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सभी 50 रुपये सीधे कोषागार में जमा कराने का आदेश दिया गया था। इसके बाद विद्यालयों को प्रति छात्र 10 रुपये की धनराशि वापस लेने के लिए यूपी बोर्ड सचिव से पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार मांग करनी पड़ती थी। यह व्यवस्था विद्यालयों के लिए जटिल और समय लेने वाली साबित हो रही थी। 

विद्यालयों की इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने शासन को प्रस्ताव भेजा था कि पूर्व की व्यवस्था को बहाल किया जाए, जिसमें विद्यालय सीधे ही 10 रुपये प्रति छात्र अपने खाते में रख सकें। शासन से इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद बोर्ड सचिव ने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों (जेडी) और जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को नया आदेश जारी कर दिया है।

नए आदेश के अनुसार, पंजीकरण शुल्क की 10 रुपये प्रति छात्र की धनराशि विद्यालय के खाते में जमा कराई जाएगी, जिसे विद्यालय प्रमुख (प्रधानाचार्य) आकस्मिक व्यय, गुणवत्ता संवर्धन और अन्य शैक्षिक कार्यों पर खर्च कर सकेंगे। शेष 40 रुपये कोषागार में जमा कराए जाएंगे। बोर्ड सचिव का कहना है कि पहले की प्रक्रिया में विद्यालयों को दो बार गणना करनी पड़ती थी और मांगपत्र भेजकर धनराशि वापस लेनी होती थी, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से जटिल थी। 

अब यह प्रक्रिया सरल, तर्कसंगत और समयबद्ध होगी। नया आदेश शैक्षिक सत्र 2025-26 से लागू होगा और इसी सत्र में प्रवेश ले रहे छात्र-छात्राओं के पंजीकरण शुल्क इसी व्यवस्था के तहत जमा कराए जाएंगे। उप्र प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह ने कहा कि यह आदेश विद्यालयों के लिए कुछ हद तक राहत जरूर देगा, लेकिन विद्यालयों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह हिस्सा 25-25 रुपये यानी आधा-आधा किया जाना चाहिए।


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