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सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम में जोड़ा OPS वाला लाभ, ऐसे केस में मिलेगा पुरानी पेंशन के विकल्प का लाभ Unified pension scheme

सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम में जोड़ा OPS वाला लाभ, ऐसे केस में मिलेगा पुरानी पेंशन के विकल्प का लाभ

 Unified pension scheme new benifits

केंद्र सरकार के कर्मचारी, नई पेशन योजना यानी 'एकीकृत पेंशन योजना' को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यूपीएस को लेकर कर्मचारियों में उत्साह नजर नहीं आ रहा। एकीकृत पेंशन योजना का विकल्प देने की आखिरी तिथि 30 जून है।

अब यूपीएस का विकल्प देने में केवल डेढ़ सप्ताह बचा है। केंद्र सरकार में लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मियों में से पचास हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया। इस बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को यूपीएस में ओपीएस वाला एक लाभ जोड़ा है। इसमें एनपीएस और ओपीएस के समान डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और सर्विस के दौरान मृत्यु या दिव्यांगता होने के मामलों में ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ शामिल है। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने यूपीएस में ओपीएस के लाभ का स्वागत किया है।

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मंजीत सिंह पटेल के मुताबिक, भारत सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तमाम विरोध के बीच उसमें कुछ ऐतिहासिक लाभ जोड़ दिए हैं, जिनमें एनपीएस और ओपीएस के समान डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और सर्विस के दौरान मृत्यु या दिव्यांगता होने के मामलों में ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ शामिल है। पटेल ने कहा, भारत सरकार के इन बदलावों का स्वागत है। भारत सरकार ने यूपीएस में डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी को एंडोर्स करके कर्मचारियों के बीच से इस संशय को खत्म कर दिया है कि डेथ या डिसेबिलिटी की स्थिति में ओपीएस वाले लाभ नहीं मिलेंगे।

सर्विस के दौरान कर्मचारी की डेथ या डिसेबिलिटी होने की दशा में भारत सरकार ने एनपीएस की तरह ओल्ड पेंशन स्कीम का विकल्प का लाभ देकर न्याय किया है। इस बाबत 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के डेलिगेशन ने 24 फरवरी को कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय के मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात की थी। मंत्री से यह आग्रह किया गया था कि यूपीएस का विकल्प चयन करने के बाद अगर किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले डेथ या डिसेबिलिटी हो जाती है तो उस स्थिति में कुछ भी क्लेरिटी नहीं है कि उसे किस प्रकार की पेंशन या फैमिली पेंशन मिलेगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने उक्त विषय को गंभीरता से लिया था। उन्होंने बाकायदा 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के डेलिगेशन के साथ उक्त विषय पर चर्चा भी की थी। मंत्री ने यह आश्वासन दिया था कि इस मुद्दे का समाधान निकाला जाएगा। अब उसी के तहत यूपीएस में यह संशोधन किया गया है।

बतौर पटेल, जब से यूपीएस का विकल्प आया है, तभी से ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाता रहा है। अभी तक यूपीएस का विकल्प चयन करने के बाद अगर किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले डेथ या डिसेबिलिटी हो जाती है तो उस स्थिति में कुछ भी स्पष्ट नहीं था। कर्मचारी असमंजस में थे कि उन्हें किस प्रकार की पेंशन या फैमिली पेंशन मिलेगी। अब भारत सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सेवाकाल के दौरान मृत्यु या डिसेबिलिटी होने के केस में एनपीएस की तरह ही पुरानी पेंशन का विकल्प जारी कर दिया है। साथ ही यूनिफाइड पेंशन स्कीम में भी ग्रेच्युटी का प्रावधान किया गया है। पटेल ने कहा, एनपीएस हो या यूपीएस, कर्मचारी हर हाल में ओल्ड पेंशन स्कीम की सभी सुविधाएं लेकर रहेंगे।

तीन माह तक तिथि आगे बढ़ानी पड़ेगी
डॉ. मंजीत सिंह पटेल कहते हैं, यूपीएस के प्रति दो-तीन फीसदी, सरकारी कर्मियों का भी रूझान नहीं है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में यूपीएस की सही से ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनर का अभाव है। ओपीएस बहाली या यूपीएस में बदलाव, अपनी इस मांग को लेकर कई राज्यों का दौरा कर चुके पटेल बताते हैं, पीओ और डीडीओ को ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है। अनेक अधिकारी ऐसे हैं, जिनके पास कर्मियों के सवालों का जवाब नहीं होता। जो कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, अब उनके खाते बंद हो गए हैं। ऐसे में वे ऑनलाइन यूपीएस में कैसे स्विच करेंगे। इस प्रक्रिया में कई सारी दिक्कतें हैं। आईटी विभाग को ऑनलाइन ट्रेनिंग पर फोकस करना चाहिए। अब ऐसा तो है नहीं कि डेढ़ सप्ताह में तीस लाख एनपीएस कर्मचारी, यूपीएस का विकल्प दे देंगे। सरकार को कम से कम, तीन माह तक तिथि आगे बढ़ानी पड़ेगी।

कर्मचारियों को मंजूर नहीं है यूपीएस
'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' के महासचिव एसबी यादव ने बताया था कि कर्मचारियों को यूपीएस मंजूर नहीं है। सरकार ने इसे जबरदस्ती कर्मचारियों पर थोपा है। कर्मचारियों की एक ही मांग रही है और वह है 'ओपीएस'। पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कर्मियों को कोई दूसरी योजना नहीं चाहिए। यही वजह है कि इतने दिन बाद भी कर्मियों ने यूपीएस की तरफ जाने का विकल्प नहीं अपनाया। अगर तीस लाख कर्मियों में से पचास हजार कर्मचारी भी यूपीएस का विकल्प नहीं चुनते हैं तो इसका मतलब है कर्मचारी इस योजना को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। अब सरकार के पास इस योजना को अपनाने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसा संभव है कि कर्मचारियों के हितों को देखते हुए सरकार, यूपीएस में कोई परिवर्तन कर दे। ओपीएस बहाली सहित दूसरी मांगों के लिए 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' की तरफ से कैबिनेट सचिव को एक दिवसीय हड़ताल का नोटिस दिया गया है। यह एक दिवसीय हड़ताल 9 जुलाई को होगी।

यूपीएस पर कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका ...
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना था कि यूपीएस को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका है। कर्मचारी, यूपीएस में शामिल नहीं होना चाहते। अभी तक महज दो तीन फीसदी एनपीएस कर्मचारी भी यूपीएस में नहीं आ रहे। इसकी आखिरी तारीख 30 जून है। केंद्र सरकार ने केल्कुलेटर भी जारी किया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी, एनपीएस और यूपीएस के झंझट में नहीं पड़ना चाहते। उनकी एक ही मांग है, पुरानी पेंशन बहाली। ओपीएस बहाली को लेकर दोबारा से कर्मचारी संगठन, लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने एनपीएस कर्मियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत 20 मई को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) कैलकुलेटर लॉन्च किया गया था। इसका मकसद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वह सुविधा मुहैया करानी है, जिसके द्वारा वे एनपीएस और नई स्कीम 'यूपीएस' दोनों के तहत मिलने वाले पेंशन लाभों की तुलना कर सकते हैं। इसके बावजूद कर्मचारी, मन नहीं बना पा रहे।

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