राजभवन पहुंचा PCS–J परीक्षा में कॉपी की अदला-बदली का मामला, प्रतियोगी छात्रों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर दर्ज कराई शिकायत UPPSC PCS J MATTER

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राजभवन पहुंचा PCS–J परीक्षा में कॉपी की अदला-बदली का मामला, प्रतियोगी छात्रों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर दर्ज कराई शिकायत

यूपीपीएससी और अध्यक्ष की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग
प्रयागराज। पीसीएस जे मुख्य परीक्षा- 2022 में कॉपी की अदला-बदली का मामला अब राजभवन तक पहुंच गया है। प्रतियोगी छात्रों ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की कार्यप्रणाली और अध्यक्ष की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। राज्यपाल को लिखे पत्र में प्रतियोगी छात्रों ने समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक का मुद्दा भी उठाया है। 




प्रतियोगियों का कहना कि जिस तरह पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल के दौरान परीक्षाओं में पेपर लीक और कॉपी की अदला-बदली के मामले सामने आए थे, वही स्थिति वर्तमान में है। ऐसे में आयोग अपनी पुरानी कार्यप्रणाली पर आ गया है।


पीसीएस जे मुख्य परीक्षा-2022 के अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने दावा किया है था। कि अंग्रेजी विषय की कॉपी पर उसकी हैंडराइटिंग नहीं है। यानी कॉपी बदली गई है। हालांकि, इस दावे की अभी पुष्टि नहीं हुई है और आयोग हकीकत का पता लगाने के लिए पीसीएस जे मुख्य परीक्षा की 18 हजार से अधिक कॉपियों की जांच करा रहा है। सभी कॉपियों में अंकित फेक मास्टरकोड को डिकोड किया जा रहा है।

आयोग की ओर से उठाए गए इस कदम पर भी प्रतियोगियों ने सवाल उठाए हैं और पूछा कि जांच के दौरान कॉपियों में फिर से कोई हेरफेर न हो, इसकी क्या गारंटी है। छात्रों ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है कि आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में आयोग ने पेपर लीक की घटना से साफ इनकार कर दिया था। अभ्यर्थियों के आंदोलन करने पर शासन ने सीधे हस्तक्षेप पर परीक्षा निरस्त की थी, वरना आयोग तो मनमानी पर उतारू था।


वहीं, पीसीएस जे मुख्य परीक्षा में कॉपी की अदला-बदली का मामला सामने आने पर अभ्यर्थी को न्यायालय की शरण में जाना पड़ा, तब आयोग ने कॉपियों की जांच शुरू कराई। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का आरोप है कि आयोग में अभ्यर्थियों की सीधे तौर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है और इसी वजह से आयोग अभ्यर्थियों के बीच अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। ऐसे में आयोग की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच होनी ही चाहिए

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