जिले में 512 परिषदीय स्कूल हैं। इसमें करीब 85 हजार छात्र पढ़ते हैं। अप्रैल माह में इन स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया था। विभाग की ओर से स्कूलों को छोटी-छोटी जरूरत पूरी करने के लिए कंपोजिट ग्रांट जारी किया जाता है। स्कूल ग्रांट से पेन, रजिस्टर, चॉक, बिजली व पानी से लेकर जुड़े छोटे छोटे काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। छात्रों की संख्या के अनुसार छात्रों को ग्रांट दिया जाता है।
देर से ग्रांट मिलने से शिक्षकों को स्कूल के काम कराने में परेशानी आती है। यही वजह है कि अप्रैल से सत्र शुरू हो गया है, फिर भी अभी तक कई स्कूल टूटी बेंच को ठीक नहीं करा पाए हैं। स्कूलों का कहना है कि कंपोजिट ग्रांट आधा सत्र खत्म होने के बाद आता है। इस वजह से स्कूल में बहुत सा काम नहीं हो पाता है और इस वजह से हर साल बड़ा अमाउंट बिना खर्च किए ही लौटा दिया जा रहा है।
वहीं, कुछ स्कूलों के शिक्षकों ने खुद के पैसे खर्च करके काम कराया है। इनका कहना है कि कई छोटे-छोटे काम के लिए जीएसटी बिल नहीं मिलता है और बिना जीएसटी बिल के पैसा पास नहीं होता है /
इस आधार पर मिलता है ग्रांट
एक से 30- 10 हजार
31 से 100 तक 25 हजार
101 से 250 से 50 हजार
251 से 1000 से 75 हजार
1000 से अधिक एक लाख
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कंपोजिट फंड को लेकर पत्र मिला है। सोमवार या मंगलवार को कंपोजिट फंड अकाउंट में आ जाएगा।
यशपाल सिंह , अतिरिक्त बेसिक शिक्षा अधिकारी