सरकारी विद्यालयों में हाजिरी बढ़ाना चुनौती, निपुण अभियान पर गहराया संकट
Challenge to increase attendance in government schools, crisis deepens on efficient campaign
बाराबंकी। सरकारी विद्यालयों के रजिस्टर में दर्ज बच्चों में करीब आधे तो विद्यालय ही नहीं आते। मिड-डे मील की रोजाना संकलित होने वाली रिपोर्ट में यह खुलासा हो रहा है। ऐसे में साफ जाहिर है कि जब बच्चे नियमित पढ़ने नहीं आ रहे है तो उन्हें निपुण कैसे बनाया जाएगा यह हाल तब है जब बीएसए लापरवाही के आरोप में 250 से अधिक शिक्षकों का वेतन रोक चुके हैं।जिले में 2630 परिषदीय विद्यालयों में करीब तीन लाख 20 हजार विद्याथी पंजीकृत हैं। बीती जुलाई में निपुण भारत अनुश्रवण केंद्र की ओर से प्रदेश के 75 जिलों की औसत उपस्थिति का आकलन कराया गया था। इसमें बाराबंकी के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति महज 33 फीसदी निकलकर ही सामने आई। इस प्रतिशत के साथ जिले की गिनती सबसे फिसड्डी जनपदों में हुई और रैंकिंग में जिला अंतिम पायदान पर पाया गया।
इसके बाद बीएसए ने 75 विद्यालयों के करीब 200 शिक्षकों का वेतन रोककर बीईओ को चेतावनी दी थी। अगस्त के पहले सप्ताह में दोबारा कार्रवाई में भी 57 विद्यालयों के पूरे स्टाफ का वेतन रोका था। तमाम सख्ती व कार्यवाई के बाद भी हाजिरी 50 फीसदी के आसपास सिमट गई है। मिड डे मील की ताजा रिपोर्ट पर गौर करें तो आधे या इससे कम बच्चे ही विद्यालय पहुंच रहे हैं। तीन लाख 20 हजार में से डेढ लाख बच्चे ही स्कूल आते हैं।
11 व 12 सितंबर को होगी निपुणता की परीक्षा : निपुण भारत अभियान के तहत बच्चों के बौद्धिक ज्ञान बढ़ाने के साथ गणित व भाषा में निपुण बनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कई कवायद चल रही हैं। नौनिहालों की निपुणता को परखने के लिए निपुण असेसमेंट टेस्ट (नेट) का आयोजन जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में 11 व 12 सितंबर को होगा। यह परीक्षा एमओआर सीट पर होगी। इसके लिए विभाग ने तैयारी तेज कर दी है.
हाजिरी बढ़ाने के हरसंभव प्रयास काफी सख्ती के बाद उपस्थिती कुछ बढ़ी है। करीब 50 फीसदी तक बच्चे स्कूल आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कोई एक बच्चा लगातार गैरहाजिर रहता है। इसका क्रम चलता रहता है। इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। अभिभावकों से संपर्क जारी है। संतोष देव पांडेय, बीएसए