पहले चरण में सेल्फ फाइनेंस कॉलेज फेडरेशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पूरे प्रकरण की स्थिति बताते हुए हस्तक्षेप की अपील की है। यहां से मामला राज्य सरकार को भेजा गया है। राज्य सरकार के निर्णय के बाद फेडरेशन कोर्ट में केस दायर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट नितिन यादव के अनुसार 16 सितंबर 2013 के बाद कॉलेजों ने रिक्त सीटों पर जो भी प्रवेश के लिए वे सरकार के आदेशों पर हुए। सरकार के आदेशों के आधार पर ही गोरखपुर विश्वविद्यालय ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय को प्रवेश के निर्देश दिए। जो प्रवेश हुए वे प्रवेश परीक्षा में शामिल हो चुके थे। लेकिन बाद में इन प्रवेश को अवैध घोषित कर दिया गया।
रिजल्ट नहीं तो दस लाख रुपये दें
फेडरेशन के अनुसार प्रवेश सरकार के आदेश पर हुए और नियमानुसार हुए। यदि फिर प्रवेश अवैध हैं तो गलती शासनादेश और गोरखपुर विश्वविद्यालय की है जिसके आधार पर प्रवेश हुए। फेडरेशन ने उक्त आदेश से प्रभावित प्रत्येक छात्र को दस-दस लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। नितिन यादव के अनुसार छात्र ना केवल मानसिक अवसाद से गुजरे बल्कि हजारों छात्रों का कॅरियर खत्म हो गया /