एनपीएस के दायरे में आने वाले 17 रिटायर शिक्षकों के लिए एक करोड़ रिजर्व
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वर्ष 2016 से अब तक नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के दायरे में आने वाले रिटायर 17 माध्यमिक शिक्षकों के भुगतान के लिए विभाग ने एक करोड़ की धनराशि रिजर्व कर दी है। इनके खातों में नियुक्ति तिथि से लेकर रिटायरमेंट की तिथि तक का राज्यांश फीड कर दिया जाएगा।
इसके बाद इन्हें कुल जमा धनराशि का 60 फीसदी भुगतान कर दिया जाएगा। शेष 40 फीसदी से पेंशन निर्धारित कर दी जाएगी।
आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने माध्यमिक शिक्षा में रिटायर हुए 17 शिक्षकों को पेंशन दिलाने के लिए प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की थीं। वर्तमान में कार्यरत एनपीएस के 47 विद्यालयों के शिक्षकों के खातों में फीडिंग का कार्य पूरा हो चुका है। इनके प्रान खातों में धनराशि पहुंचने लगी है। रिटायर हो चुके शिक्षकों का भुगतान करने के लिए डीआईओएस के खाते में पड़ी पेंशन मद के एक करोड़ रुपये रिजर्व कर लिए गए हैं।
ऐसे मिलेगी शिक्षकों को नई पेंशन
जो शिक्षक वर्ष 2016 के बाद से अब तक रिटायर हुए हैं, उनमें एक को छोड़ कर किसी शिक्षक को नई पेंशन नहीं मिल पाई है। इसका कारण इन शिक्षकों के खातों में राज्यांश का पूरा हिस्सा न पड़ा होना समेत अन्य कारण रहे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. फतेह बहादुर सिंह की अध्यक्षता में हुई एनपीएस की बैठक में निर्णय लिया गया कि रिटायर शिक्षकों में एक-एक प्रकरण की समस्याएं निपटाते हुए इनकी नई पेंशन तय कर दी जाए। इसके लिए आवश्यक धनराशि इनके खातों में फीड करा दी जाए। बैठक में अखिलेश यादव और मोहित मनोहर भी मौजूद रहे।
ऐसे मिलती है नई पेंशन
नई पेंशन स्कीम के दायरे में आने वाले शिक्षकों के वेतन से 10 फीसदी धनराशि काटी जाती है। पूर्व में 10 फीसदी लेकिन अब 14 प्रतिशत राज्यांश शिक्षकों को दिया जाता है। यह धनराशि शिक्षकों के परमानेंट रिटायरमेंट खाते (प्रान) में जाती है। इसमें जमा धनराशि तीन एजेंसियों में लगाई जाती है। यह धनराशि जोखिम के दायरे में होती है जो बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है। रिटायरमेंट के बाद जमा कुल धनराशि का 60 फीसदी मिल जाता है और 40 फीसदी से नई पेंशन बना दी जाती है।
45 शिक्षकों के जीपीएफ टोकन जारी
कानपुर। माध्यमिक शिक्षा से रिटायर हुए पुरानी पेंशन के दायरे में आने वाले शिक्षकों में 45 को जीपीएफ का भुगतान इसी सप्ताह हो जाएगा। इन शिक्षकों के टोकन बन गए हैं। इसी कोषागार भेजा जाना है। 31 मार्च को रिटायर हुए इन शिक्षकों को अप्रैल में भुगतान हो जाना चाहिए था लेकिन अब तक इनके अभिलेख तैयार नहीं हो पाए। इस कारण इक्का-दुक्का का ही भुगतान हो सका था।